अब फिर शुरु होगा सरकार में नियुक्तियों का दौर
अब चुनावी साल में भी राजनैतिक नियुक्तियों का इंतजार बना हुआ है। माना जा रहा है कि अब यह इंतजार समाप्त होने जा रहा है। इसके लिए साा व संगठन स्तर पर लगातार मंथन का दौर जारी है। यह बात अलग है कि अब पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं में इसको लेकर कोईविशेष उत्साह नहीं रह गया है। इसकी वजह हैनियुक्ति से लेकर कामकाज समझने तक में ही दो तीन माह का समय निकाल जाएगा और उसके कुछ समय बाद प्रदेश में चुनावी आचार संहिता लग जाएगी, जिसकी वजह से वे अपने कामकाज का प्रर्दशन नहीं कर पाएंगे और न ही कार्यकर्ताओं की कसौटी पर खरा उतर पाएंगे, जिससे उनको लेकर क्षेत्र के लोगों में नाराजगी की संभावनाएं अधिक बन जाएंगी। खास बात यह है कि इनमें भी कईप्राधिकरण बेहद अहम हैं, लेकिन उसके बाद भी सरकार अपने तीन साल के कार्यकाल में उनमें नियुक्ति नहीं कर सकी है। पार्टीसूत्रों की माने तो इन नियुक्तियों के लिए साा व संगठन के बीच पूरी तरह से सहमति बना ली गईहै। बताया जा रहा हैकि जिन नामों पर सहमति बन चुकी हैं उनमें कटनी विकास प्राधिकरण के लिए पीतांबर टोपलानी, सिंगरौली में पूर्व उपाध्यक्ष दिलीप शाह और उज्जैन विकास प्राधिकरण के लिए संगठन की तरफ से इकबाल गांधी का नाम दिया गया। उज्जैन में जगदीश अग्रवाल का नाम भी चर्चामें बना हुआ है। इन नामों को हरी झंडी देने के लिए अब तक सत्ता व संगठन स्तर पर दो दौर की बात हो चुकी है। इसी तरह से रतलाम व देवास विकास प्राधिकरण, खजुराहो - विंध्य विकास प्राधिकरण आदि पर अभी नामों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। माना जा रहा हैकि एक दो दिन में होने वाली बैठक में इनके लिए भी नामों पर सहमति बना ली जाएगी। बताया जा रहा हैकि इसके लिए अब तक दो दौर की हुई बैठक में ग्वालियर - चंबल में श्रीमंत की पसंद को महत्व दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी नामों को लेकर पूरी तरह से सहमति नहीं बन सकी है। दरअसल ग्वालियर में सुधीर गुप्ता, रामेश्वर भदौरिया, वेदप्रकाश शर्मा के साथ ही सुमन शर्मा और महेंद्र यादव भी अपनी -अपनी दावेदारी पूरी ताकत से कर रहे हैं। इसके साथ ही कुछ जिलों के जिलाध्यक्षों में भी बदलाव किए जाने की तैयारी की जा रही है।उज्जैन को लेकर फिलहाल स्थिति साफ नहीं है, लेकिन पार्टी का एक धड़ा जिलाध्यक्ष को बदलवाने के प्रयासों में लगा है।
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